गनपत अउ धनपत दुनो झन रेडियो सुनत बइठे राहंय । रेडियो हर नीक-नीक देसभक्ति के गीत गावत राहय अउ बोलत राहय कि हमर आजादी साठ बरीस के होगे । तब गनपत हर धनपत ल पूछथे कि- रेडिया हर अजादी ल साठ बरीस के होगे कथे फेर हम तो आज ले ओखर दरसन नइ करे हावन । कइसना होथे ये आजादी हर ? ये अजादी के बिसय मं तैं का जानथस कुछु बतातेस ? तब धनपत बोलथे- पहिली हम अंगरेज के गुलाम रेहेन । आज अंगरेज मन ल हमर देश ले भागे साठ बछर होगे । तबले हमला अजादी मिले हावय । तैं कहिथस कि आज ले अजादी के दरसन नइ करे हंव तब इही ल कथें आंखी के अंधरा अउ अंधवा के बेटा जुरजोधन । तोर सरीख अंधरा तो ये दुनिया मं कोई नइए । तैं मोर संग चल मै तोला देखावत हंव कि अजादी कहाँ कहाँ हावय…. ।
अइसन काहत गांव के अबादी अउ घास भूंइया कोती गनपत ल लेगीस अउ ओला बताये लागीस कि सरकार हर इहां पेड़ लगाय रिहीस । येमा कटही तार के घेरा मारे रिहीस । आज देखते देखत पेड़ गोल होगे, घेरा मारे कटही तार अऊ सिरमिट के खम्भा गायब होगे । घास भूंइया खेत मं बदलगे । खइरखा ड़ाड़ अउ मसान गड्ढा मं घर बनगे । गांव के गली खोर चाकर-चाकर रिहीस । चार भंईसा-गाड़ी अराम के साथ एक संघरा आर-पार हो जावय । तिहां आज दू झन आदमी ल पार होना मुसकुल होगे हावय । ये सब करस्तानी ल कोन करीस अउ कोन करवइस सब झन ल मालूम हे । फेर येखर बिरोध में गांव मं कोई माई के लाल बोलने वाला पैदा नइ होय सकिस । ….इही तो आजादी आय ….।
धनपत हर गनपत ल बिजली के तार ल देखावत कथे -ये अवैध कनेक्सन ल देख । ये मामला मं सबके आंखी मं टोपा बंधाय हावय । खुद बिजली विभाग वाला साहेब मुंसी मन देखत हावंय फेर का मजाल कि एखर सिकायत लिखे के हिम्मत कउनो करंय । ….इही तो आजादी आय ….। ग्रामपंचइत हर बिजली खंभा मं आज डंडा लाइट अउ बलफ लगाथे अउ काली बर सब ला चरचर ले फूटे पाबे । फोरत कतकोन झन देखथें फेर मना कउनो नइ कर सकंय….इही तो आजादी आय ….।
गांव मं बने पक्की सड़क अऊ गांधी चौरा ल देखावत कथे – ए हमर गांव के परमुख चंऊक आय । गांधी बबा के मूरती के का सदगति होय हावय तेन ला देख । सब पाल्टी वाला मन इही मेर अपन नेता मन के सुवागत करथें । गांधी जी के घेंच मुड़, हाथ, गोड़ मं तोरन, बैनर अउ झंडा बांध-बांध के का गत बना डारे हावंय तेनहर छक्छात दीखत हावय । फटाका के लम्भरी-लम्भरी लरी, बड़े-बड़े एटम बम फटाका इही मेर फूटथे । ये सड़क ल होले डांड़ बना डारे हावंय । सत्ता पाल्टी अउ जम्मो बिरोधी पाल्टी वाला मन इही मेर एक दुसर के नेता के पूतरा ल लेसथें भुंजथें फेर कउनो मना करइया नइए । ….इही तो आजादी आय ….।
धनपत हर गनपत ल ओ जम्मो जगा ल देखाय बर लेगथे जहाँ जऊन काम करे बर सक्त मना लिखाय रथे ओमेर उही काम अउ जादा होथे । सरकारी भवन के जऊन भिथिया मं पेसाब करना मना हावय लिखाय राहय उही मेर लोगन किसाब कर कर के नवा भिथिया ल ओदार डारे राहंय । चोंगी-माखुर, ध्रुम्रपान करना मना हे लिखाय राहय उही मेर लोगन बीड़ी, सिगरेट अउ गांजा के धुंगिया उड़ावत राहंय । तेन ल धनपत हर गनपत ल देखावत कथे । …..इही तो अजादी आय ….।
गांव के सामुदायिक भवन बनाय बर रेती, गिट्टी, इंर्टा, पथरा कुढ़वाय राहय तेन ल दिन दहाड़े उठा के लोगन लेगत राहंय तेन ला देखावत कथे । ….इही तो अजादी आय …। गांव के घुटकुरी कोती के पूरा पथरा अउ रूख रई साफ होगे राहय तऊन ल देखावत कथे कि सरकार मं बइठे आदमी अउ ओकर लोगन मन पूरा जंगल ल साफ करत हावंय । जंगल वाला साहेब, सिपाही मन घला अपन आंखी मूंदे मं अपन भलाई समझथें । ….इही तो अजादी आय…. ।
सरकार हर नल जल योजना हमर गांव मं लागू करे हावय । सब नल मं टोटी लगवाय रिहीस । बिहान दिन एको ठन तुतरू देखऊल नइ दीस । नल खुल्ला, पानी फालतू बोहावत हे । काखरो येती धियान नईये । ….इही तो आजादी आय …। कोन करमचारी काम करत हावय अउ कोन काम चोरी करत हावय कउनो देखइया नइए …..इही तो अजादी आय…. ।
बेंग ले करजा लेके कउनो पटाबे नई करंय । बेंग वाला साहेब मन उसूली करें बर कड़ई करथें तब कर्जदार मन उंखरे खिलाफ थाना मं रिपोर्ट लिखा देथें । कतकोन सरकारी – करमचारी महीना मं एक दिन दसकत करे बर आफिस चल देथें अउ महिना भर के तनखा ला पको लेथें । एखर बिरोध मं बड़े अधिकारी कलम चलाथे तहाँ कउनो नेता ले फोन करवा देथें । तहॉँले मामला खतम । …. इही तो आजादी आय….. । आज काल तो मानव अधिकार, महिला अधिकार अउ पता निही कई किसम के आयोग बने बइठे हावंय । उंहा जाके अलाल दलाल मन गोहार पारथें । तहाँ फुरसत कउनो तोर कुछु नइ बिगाड़ सकय । …..इही तो आजादी आय…. । जांच पेखन होथे तब जेखर संग अतलंग होय हावय ओखर सपोट करइया एको झन मरे रोवइया नइ पावस । नहर ल फोर दे, मना करइया के हाथ गोड़ ल टोर दे । रिपोर्ट होगे तब कोई गवाही देवइया नइ मिलय । …..इही तो आजादी आय….। काखरो घर मं किराया मं रहईया मन किराया नई पटावंय । मकान मालिक किराया मांगे बर जाथे तब ओखरे बिरोध में रपोट लिखा देथें । अऊ जादा होगे तब मकान मं अपन मालिकाना हक बता देथें । मकान मालिक के बुद्धि नास । …..इही तो आजादी आय….।
धनपत हर गनपत ल कथे कि ये गांव मं जतका अजादी के दरसन तोला कराय हावंव ये तो एक ठन सेम्फल आय । पुरा देस मं एखर ले बड़े बड़े अजादी अउ हावय । अइसन अजादी भोगईया मनखे मन के पलइया पोंसइया मन साल गनिया दू बेर गांव के मदरसा मं झंडा फहराय के पद पावर ल अपन ददा बबा परिया ले पोगराय बइठे हावंय । उंखर राहत ले गांव मं कोई ल झंड़ा फहराय के मऊका मिलना मुसकुल हे । …..इही तो आजादी आय….।